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हटकेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक कथाएँ !!

रायपुर शहर की प्रारम्भिक बसावट खारून नदी के तट पर स्थित महादेव घाट क्षेत्र में हुई। रायपुर के कलचुरी राजाओं ने सबसे पहले

PUBLISHED BY -LISHA DHIGE

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में महादेव घाट पर हटकेश्वर महादेव का चमत्कारी मंदिर है। खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव मंदिर के पीछे त्रेता युग की एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है। जिससे देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर खारुन नदी के तट पर स्थित होने के कारण महादेव घाट के नाम से प्रसिद्ध है। यह 500 साल पुराना भगवान शिव मंदिर रायपुर शहर से 8 किमी दूर स्थित प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।

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आस्था के सैलाब में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालु महादेव घाट पहुंचते हैं. मान्यता है कि 600 साल पुराने इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक इस मंदिर के दर्शन करने देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। बारीक नक्काशी से सुसज्जित इस भव्य मंदिर के भीतरी और बाहरी कक्षों की शोभा देखते ही बनती है। पुजारी महेश का कहना है कि इस मंदिर के मुख्य देवता हटकेश्वर महादेव नगर ब्राह्मणों के संरक्षक देवता माने जाते हैं। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के पास रामजानकी, लक्ष्मण और बरहादेव की मूर्तियां हैं।

हनुमानजी अपने कंधे पर शिवजी को लाये थे

भगवान हनुमान जी शिव जी को अपने कंधे पर यहां लाये थे। इसी कथा के कारण यह मंदिर दूर-दूर तक विख्यात है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीराम के वनवास के समय हुई थी। इस शिवलिंग की स्थापना लक्ष्मणजी ने तब की थी जब वे अपने वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ के इस क्षेत्र से गुजर रहे थे। कहा जाता है कि स्थापना के लिए हनुमानजी शिवजी को कंधे पर बिठाकर निकले थे, बाद में जब ब्राह्मण देवता को आमंत्रित करने गए तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इधर लक्ष्मणजी विलम्ब के कारण क्रोधित हो रहे थे, क्योंकि स्थापना के समय में विलम्ब हो गया था। स्थापना के समय को देखते हुए इसे जहाँ स्थापित करने की योजना बनाई गई थी, उसके स्थान पर इसे खारुन नदी के तट पर स्थापित किया गया।

पिंडदान का विशेष पूजन

यहां खारुन नदी के मध्य में जाकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी किया जाता है। गया और काशी की तरह यहां भी विशेष पूजा की जाती है।

कार्तिक-पूर्णिमा पर लगता है मेला

रायपुर शहर की प्रारम्भिक बसावट खारून नदी के तट पर स्थित महादेव घाट क्षेत्र में हुई। रायपुर के कलचुरी राजाओं ने सबसे पहले इस क्षेत्र में अपनी राजधानी बनाई थी। राजा ब्रह्मदेव के विक्रम संवत् 1458 अर्थात् 1402 ई. के अभिलेखों से ज्ञात होता है कि हाजीराज ने यहाँ हटकेश्वर महादेव मन्दिर का निर्माण करवाया था। वर्तमान समय में खारून नदी के तट के आसपास अनेक छोटे-बड़े मन्दिर बन चुके हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण हटकेश्वर महादेव का मंदिर है। यह मंदिर बाहर से आधुनिक प्रतीत होता है, लेकिन पूरी संरचना को देखकर यह उत्तर मध्यकालीन होने का अनुमान लगाया जा सकता है। कार्तिक-पूर्णिमा के समय यहां एक बड़ा मेला लगता है। विवेकानंद आश्रम के संस्थापक स्वामी आत्मानंद (1929-1981) की समाधि भी महादेव घाट में ही स्थित है।

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