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Kanwar Yatra 2022: जानिए सावन में कांवड़ यात्रा का महत्व

आकाश मिश्रा ✍️

Kanwar Yatra 2022: इस महीने शिव भक्त भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा करते हैं। शिवालयों में, वे जलाभिषेक करके भगवान शिव का आशीर्वाद लेते हैं। सावन मास को श्रावण मास भी कहते हैं। सावन के महीने में भी कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। इस दौरान शिव के भक्त गंगा नदी से पवित्र गंगा जल को कंवर लाते हैं और पैदल यात्रा करते हैं और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।

कांवड़ यात्रा की यह परंपरा बहुत पुरानी है। आइए जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से सावन के महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा का महत्व।

कांवड़ियों की किंवदंतियां
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा शुरू करने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम, रावण, परशुराम, श्रवण कुमार ने कांवर यात्रा की शुरुआत की थी। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम पहले कांवर लेकर आए थे। भगवान परशुराम भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लाए थे।

यहीं से कांवड़ यात्रा शुरू हुई। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में अपने कंधे पर बिठाया और पैदल यात्रा करवाकर गंगाजल में स्नान कराया। वापस आते समय भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक किया गया। कहा जाता है कि कांवड़ यात्रा यहीं से शुरू हुई थी।

जब रावण ने किया था शिव का अभिषेक
कांवड़ यात्रा से जुड़ी एक और कहानी है। जिसमें कांवड़ यात्रा लंकापति रावण के समय से शुरू हुई थी। पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पी लिया तो उनका कंठ जलने लगा। तब देवताओं ने उनका जलाभिषेक किया था। इस दौरान शिव ने अपने परम भक्त रावण का भी स्मरण किया। तब रावण ने कांवड़ से जल लेकर भगवान शिव के पास पहुंचकर उनका अभिषेक किया। कहा जाता है कि कांवड़ यात्रा यहीं से शुरू हुई थी। ऐसे में सावन के महीने में कांवड़ यात्रा से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.

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