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स्वास्थ्य

प्रदूषण से हुई बीमारियों का इलाज करने अब खुलेंगे क्लीनिक

एआरआई की शुरूआत:प्रदूषण से हुई बीमारियों का इलाज करने आठ शहरों में खोले क्लीनिक 1 माह में आए करीब 3600 मरीज

( PUBLISHED BY-Lisha Dhige )

रायपुर | जलवायु परिवर्तन और औद्योगिक प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के लिए पिछले महीने ही राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के 8 शहरों में एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन क्लीनिक (एआरआई) शुरू किए गए हैं। एक महीने में ही 3,600 से ज्यादा मरीज उन तक पहुंच चुके हैं, जिनकी बीमारी प्रदूषण के कारण होती है। भास्कर ने एआरआई में आने वाले मरीजों के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया कि राज्य के इन 8 क्लीनिकों में रोजाना करीब सौ मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जिनमें से औसतन 50 रायपुर में हैं.

औद्योगिक प्रदूषण के प्रति संवेदनशील माने जाने वाले प्रदेश के आठ जिलों में पहली बार ऐसे क्लीनिक शुरू किए गए हैं। इसमें जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का भी रिकॉर्ड रखा जा रहा है. राज्य स्तर पर इसकी निगरानी की जा रही है।

दरअसल, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण ज्यादातर लोग सांस की बीमारियों जैसे अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ, निमोनिया, तपेदिक, छाती के कैंसर के साथ-साथ त्वचा की एलर्जी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। एआरआई क्लीनिक बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं, गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों और फेफड़ों और सांस की बीमारियों के रोगियों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं

वहीं पानी के प्रदूषण से होने वाली बीमारियों और खाने-पीने की चीजों जैसे लीवर, किडनी, आंतों के रोग, पेट के कैंसर आदि के मरीजों का इलाज इनमें किया जा रहा है. यह भी सामने आया कि एक महीने में इलाज के लिए आने वाले 40 फीसदी से ज्यादा मरीज ऐसे थे जिन्हें कोरोना था। कोरोना की वजह से इनमें श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियां ज्यादा पाई जा रही हैं. डॉक्टरों के मुताबिक कोविड के बाद के मरीजों में अभी भी फेफड़ों में कमजोरी ज्यादा देखी जा रही है.

एआरआई क्लीनिकों में ऐसे मरीजों का अलग से रिकॉर्ड रखकर निगरानी की जा रही है। बलौदा बाजार जिले के एआरआई क्लीनिक में पिछले एक महीने में 300 से ज्यादा मरीजों का इलाज हो चुका है. बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं ज्यादा डॉक्टरों के मुताबिक बुजुर्गों, बच्चों और महिला मरीजों की संख्या ज्यादा है। एक महीने के आंकड़ों के मुताबिक कुल मरीजों में 72 फीसदी से ज्यादा बुजुर्ग बच्चे और महिलाएं हैं।

bulandmedia

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