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अंतराष्ट्रीय

रूस ने किया इस देश का 18 % अपने मे शामिल ??

रूस ने शुक्रवार को यूक्रेन के 4 राज्यों को अपने क्षेत्र में मिला लिया। ये क्षेत्र डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज़िया हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्रेमलिन में एक विशेष समारोह में इन चार राज्यों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए।

( published by -Lisha Dhige )

रूस ने शुक्रवार को यूक्रेन के 4 राज्यों को अपने क्षेत्र में मिला लिया। ये क्षेत्र डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज़िया हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्रेमलिन में एक विशेष समारोह में इन चार राज्यों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए।

समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले पुतिन ने भाषण दिया। कहा- यह रूस के करोड़ों लोगों का सपना था। यह इन चार भागों में रहने वाले लोगों की इच्छा और अधिकार भी था। रूस ने इन इलाकों में जनमत संग्रह कराने के बाद उन्हें अपनी सीमा में शामिल कर लिया है.

यूक्रेन के चार हिस्सों को अपनी सीमा में शामिल करके रूस यह दिखाना चाहता है कि उन पर हमला अब रूस पर ही हमला माना जाएगा. रूस में इस मौके को खास दिन की तरह मनाया जा रहा है। पुतिन के भाषण को सुनने के लिए मॉस्को के रेड स्क्वायर में होर्डिंग और एक बड़ी वीडियो स्क्रीन लगाई गई थी। इस दौरान कई सड़कें बंद रहीं। समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एक विशेष शो भी दिखाया गया।

photo-@social media

कब्जे की वजह

1 यूक्रेन के इतने लंबे समय तक युद्ध में रहने का सबसे बड़ा कारण अमेरिका और पश्चिमी देशों का हथियार और आर्थिक समर्थन है। रूस शुरू से ही यूक्रेन को पश्चिमी देशों के समर्थन का विरोध करता रहा है।


2 अब यूक्रेन के 4 हिस्सों को मिलाकर रूस पश्चिमी देशों को यह संदेश देना चाहता है कि इसे रोकना मुश्किल है. ऐसा करने से रूस यह दावा कर सकेगा कि यूक्रेन उसके क्षेत्र पर हमला कर रहा है और पश्चिमी देशों को भी निशाना बनाया जा सकता है। रूस ने इसी तरह 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था, जिसका पश्चिमी देशों ने विरोध किया था। इसके बाद भी क्रीमिया पर रूस का कब्जा है।

रूस के लिए लुहांस्क-डोनेट्स्क बेहद अहम

अब सवाल यह उठता है कि रूस के लिए इन चार हिस्सों पर कब्जा क्यों जरूरी है। इन 4 भागों के रूस में शामिल होने का मतलब यूक्रेन का आर्थिक विनाश होगा। रूस में शामिल होने के बाद लुहान्स्क-डोनेट्स्क मध्य एशिया में अमेरिकी प्रभाव को कमजोर करने का एक साधन बन जाएगा। दोनों प्रांत नाटो के खिलाफ पुतिन के हथियार भी होंगे।

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