स्वास्थ्य

आज विश्व रक्तदान दिवस के सुनहरे अवसर पर अर्चित अग्रवाल बने यूथ के प्रेरणा स्त्रोत !!!!

आज की दुनिया कहते है की दान करने से बड़ा कोई काम नही होता है। ऐसे ही एक व्यक्ति विश्व रक्तदान दिवस के उपलक्ष्य में हमारे बीच में मौजूद है आज के यूथ के प्रेरणा स्त्रोत वीर साहसी यंगस्टर अर्चित अग्रवाल जी, जिन्हे आज प्लेटलेट्स या अफेरेसिस डोनर के नाम से भी जाने जाते है

( Published by-Lisha Dhige )

आज की दुनिया कहते है की दान करने से बड़ा कोई काम नही होता है। ऐसे ही एक व्यक्ति विश्व रक्तदान दिवस के उपलक्ष्य में हमारे बीच में मौजूद है आज के यूथ के प्रेरणा स्त्रोत वीर साहसी यंगस्टर अर्चित अग्रवाल जी, जिन्हे आज प्लेटलेट्स या अफेरेसिस डोनर के नाम से भी जाने जाते है।
अर्चित अग्रवाल जी ने हमे बताए की उन्होंने 19 साल की उम्र में रक्तदान करने चालू किए, जो आज भी निरंतर रूप से जारी है। अभी तक उन्होंने 15 बार रक्तदान कर चुके है जिसमें 14 बार प्लेटलेट्स का डोनेशन है और एक बार होल ब्लड का डोनेशन है। उनका सबसे पहला डोनेशन प्लेटलेट्स का ही हुआ था। वह बताते है की जब भी किसी भी मरीज़ को ब्लड की जरूरत रहती है और उनका कॉल आता है तो वह तुरंत रक्तदान के लिए चले जाते है और रक्तदान करते है। चाहे दिन हो या रात वोह हर समय तत्पर रहते है अपने इस कार्य के लिए। अर्चित जी खुद डोनेशन करते है और साथ ही दूसरो को भी प्रेरित करते ताकि वो इस नेक काम को करने के लिए आगे आए और आगे बढ़े इस छेत्र में।

परिवार वाले और मेंटर्स बने मेरे हिम्मत की वजह :

अर्चित जी ने हमें बताया कि उनकी इस रक्तदान करने के पीछे की हिम्मत का राज़ उनके परिवार वाले और उनके मेंटर्स है। मां–बाप से हमेशा सपोर्ट मिलता है इस कार्य के लिए। मेरे मेंटर्स एम. वासुदेव राव सर, मिथून मानिकपुरी सर, निष्ठा चतुर्वेदी मैम, अंतरा गोवर्धन मैम, से हमेशा प्रोत्साहन और मोटिवेशन मिलती है इस कार्य को करने की और किस तरह से इस क्षेत्र में आगे बढ़ना है और कार्य करना है वह भी सीखते है। अर्चित जी ओम साई रक्तदाता सेवार्थ समिती से सदस्य की तरह जुड़ कर इस अदभुत कार्य को कर रहे है।

लोगों के तानें सुनने के बाद भी चालू है स्वैच्छिक रक्तदान :

उनका कहना है की इस काम को करते वक्त उनके बहुत लोगो ने तानें मारे आशब्द भी बोले और ऐसा नहीं करना चाहिए करके माना भी किया लेकिन उन्होंने किसी की नही सुनी उन्होंने अपने इस नेक कार्य को जारी रखा, और उन्होंने कहा की इस कार्य को वह कभी भी बंद करेगें निरंतर करते रहेंगे।

इस घटना के बाद इन्होंने अपना स्वैच्छिक रक्तदान करना शुरू किए :–

अर्चित जी बताते है की जब वह छोटे थे तो उनके नाना जी को ब्लड की जरूरत थी पर उनकी उम्र कम होने के कारण उन्हें भी रक्तदान करने से मना कर दिया गया और वो रक्तदान नही कर पाए। लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नही हारी उन्होंने कहा की सही समय आने पर मैं रक्तदान जरूर करना चालू करूंगा। जब कोविड सेकंड वेव के बाद उनकी एक मित्र के पिता जी को ब्लड कैंसर की बीमारी हो गई थी तो उन्हे लगा कि अब सही समय आ गया है रक्तदान करने का तो उन्होंने रक्तदान करना चालू किया और वोह अभी इस कार्य को पूर्ण रूप से कर रहे।

bulandmedia

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button