रायपुर । साय सरकार कमीशनखोरी के लालच में बार-बार शराब खरीदी के नियमों में बदलाव कर रही है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि एफएल-10 का लाइसेंस निरस्त कर सरकार द्वारा सीधे उत्पादक कंपनियों से शराब इसलिये खरीदने का फैसला लिया गया है ताकि कंपनियों से मोटा कमीशन वसूला जाय। दो माह पहले ही सरकार ने 12 कंपनियों को एफएल-10 का लाइसेंस दिया तथा उनके साथ एक वर्ष तक सप्लाई का एग्रीमेंट किया गया उनसे बांड भी भरवाया गया इसके बाद 10 कंपनियों को एफएल-बी का लाइसेंस दिया गया उनसे भी एग्रीमेंट किया गया फिर अचानक सरकार ने इन कंपनियों से किये एग्रीमेंट को रद्द क्यों किया गया? इसका जवाब सरकार को देना चाहिये।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जैसा आबकारी नियमों में बदलाव दिल्ली में आप सरकार ने किया था जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री जेल में है वैसा ही नियमों में परिवर्तन छत्तीसगढ़ सरकार ने भी किया है। यह सीधे-सीधे शराब कंपनियों से मिलने वाले डिस्काउंट की मोटी रकम में घोटाले का खेल है।
उन्होंने कहा कि शराब घोटाला करना भाजपा की पुरानी फितरत है। पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय भी बड़े पैमाने पर शराब घोटाला हुआ था। प्रदेश के आबकारी विभाग में वर्ष 2012 से 2017 के बीच शासन के उच्चस्तरीय संरक्षण में प्रदेश में मौजूद शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने एवं करोड़ों के कमीशनखोरी किये जाने के उद्देश्य से बिना मापदण्डों का पालन किये उनके उत्पाद को IMFL(इंडियन मेड फॉरेन लिकर) की केटेगरी में शामिल करते हुऐ शराब बिक्री में ठेकेदारों को अधिक मुनाफा दिया जाकर इन अवैधानिक तरीके से IMFL श्रेणी की केटेगरी में रखी गयी शराब को प्रदेश में ऊंची दरों पर बेचने का कार्य करते हुए कई सौ करोड़ रूपयों की कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।