रायपुर । आगामी लोकसभा निर्वाचन-2024 की तैयारियों के संबंध में बुधवार को कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह के निर्देश पर जिले के विभिन्न प्रिंटरों और प्रकाशकों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की गई। रेडक्रॉस सभाकक्ष में आयोजित इस बैठक में उप जिला निर्वाचन अधिकारी उमाशंकर बन्दे और मास्टर ट्रेनरों ने प्रिंटरों और मुद्रकों को लोकसभा निर्वाचन के दौरान छापी जाने वाली राजनैतिक प्रचार-प्रसार सामग्रियों के बारे में निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों की विस्तृत जानकारी दी। बन्दे ने बैठक में कहा कि विधानसभा निर्वाचन के लिए आदर्श आचार संहिता प्रभावशील होते ही सभी प्रिंटरों-मुद्रकों और प्रकाशकों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में निहित प्रावधानों और दिशा-निर्देशों का पालन करना बंधनकारी होगा।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मुद्रकों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह निर्वाचन के दौरान प्रचार के लिए छापी गई सामग्री की तीन प्रतियां और प्रकाशक की घोषणा जिला निर्वाचन कार्यालय में छपाई के 72 घंटे या तीन दिन के भीतर जमा करायें। उन्होंने कहा कि मुद्रित की गई सामग्रियों पर मुद्रक एवं प्रकाशक का नाम तथा मुद्रित संख्या अंकित करना अनिवार्य होगा। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि विधानसभा निर्वाचन के लिए प्रचार-प्रसार की सामग्री में मुद्रित किये जाने वाला मैटर आदर्श आचार संहिता के दायरे में रहेगा।
बैठक में मास्टर ट्रेनर्स ने बताया कि किसी भी प्रकार की प्रचार सामग्री जैसे हैंडबिल, पम्पलेट, पोस्टर, बैनर, फ्लैक्स आदि को छापने के लिए संबंधित व्यक्ति द्वारा मुद्रक को घोषणा पत्र भरकर ही आर्डर दिया जायेगा। मास्टर ट्रेनर ने मुद्रकों सलाह दी है कि बिना घोषणा पत्र वाले प्रिंटिंग आर्डर वे ना लें। बैठक में आगे बताया गया कि प्राचार सामग्री छापने के 72 घंटे के अंदर मुद्रित सामग्री के तीन सेट और प्रकाशक की घोषणा को जिला निर्वाचन कार्यालय में प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी मुद्रकों की होगी। इस दौरान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 क के प्रावधानों का उल्लंघन पाये जाने पर दंडात्मक कार्यवाही भी की जायेगी। इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर छः महिने का कारावास और दो हजार रूपये जुर्माना या दोनों भी किया जा सकता है। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति कोई निर्वाचन संबंधी पैम्पलेट, पोस्टर या अन्य प्रचार-प्रसार सामग्री तब तक मुद्रित नहीं करेगा जब तक उनके पास प्रकाशक की हस्ताक्षरित घोषणा और दो व्यक्तियों द्वारा अनुप्रमाणित न हो। मुद्रण के लिए राजनैतिक दल या अभ्यर्थी या निर्वाचक अभिकर्ता की सहमति जरूरी होगी। पाम्पलेट-पोस्टर में प्रकाशक एवं मुद्रक का नाम नहीं होने पर छह महीने की सजा या दो हजार रूपये जुर्माना या दोनोें हो सकेगी।
बैठक में आगे बताया गया कि भारत सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय निकायों और आयोग-ट्रिब्यूनल द्वारा प्रतिबंधित प्रिंटिंग मटेरियल पर प्रचार सामग्री प्रिंट करने पर भी मुद्रकों के खिलाफ कार्यवाही की जा सकेगी। बैठक में प्रिंटरो-प्रकाशकों के सुझावों को भी ध्यान से सुना गया और उनकी शंकाओं का भी समाधान किया गया।