राम को जन-जन का राम… बनाने में इन मातृ शक्तियों की अहम भूमिका है। किसी ने राम को जीत का द्वार दिखाया, किसी का राम ने उद्धार किया। राम जन्मभूमि परिसर में सबके राम… की भी अवधारणा साकार होगी। परिसर में रामायण काल की मातृ शक्तियों के भी मंदिर बनाए जाएंगे। राम जन्मभूमि के भव्य गर्भगृह में विराजमान होने वाले बाल स्वरूप रामलला को माता शबरी व अहिल्या आशीर्वाद देती नजर आएंगी।
राम जन्मभूमि परिसर में माता भगवती, माता शबरी, अहिल्या व अन्नपूर्णा का भी मंदिर प्रस्तावित है। श्रीराम ने पाषाण रूपी अहिल्या का उद्धार किया था। माता सीता की खोज के दौरान भगवान माता शबरी से मिले तो शबरी ने ही उन्हें सुग्रीव से मिलने का सुझाव दिया, जिससे लंका विजय का मार्ग प्रशस्त हुआ। परिसर में माता भगवती का भी मंदिर बनेगा, जो आदिशक्ति दुर्गा हैं। कहा जाता है कि शक्ति और शक्तिमान में अभेद्य संबंध होता है।शक्ति के बिना शक्तिमान अपना अस्तित्व प्राप्त नहीं कर पाता।