( published by – Seema Upadhyay )
विपक्ष की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने आज अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, NCP प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, शिवसेना नेता संजय राउत एवं अन्य विपक्षी दल के नेता मौजूद थे। बता दें कि मार्गरेट अल्वा उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार घोषित की गई हैं। एनसीपी चीफ शरद पवार ने इनके नाम का एलान किया था।
गांधी परिवार की वफादार रही हैं अल्वा
मार्गरेट अल्वा, जिन्हें उपराष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार घोषित किया गया था, कांग्रेस नेताओं की एक पीढ़ी से आती हैं जो गांधी परिवार के प्रति वफादार रहे। 1969 में, उन्होंने इंदिरा गांधी के प्रति निष्ठा के साथ कांग्रेस की राजनीति में प्रवेश किया। गांधी परिवार के प्रति उनकी निष्ठा चार दशकों तक जारी रही और इस दौरान उन्होंने इसका पूरा लाभ भी उठाया। 1974 से 1998 तक पार्टी ने उन्हें लगातार राज्यसभा भेजा। इसके बाद वह 1999 से 2004 तक लोकसभा की सदस्य रहीं। एक बार कैबिनेट मंत्री के पद पर भी रहीं। हालांकि, वह 2004 में लोकसभा चुनाव हार गईं। बाद में उन्हें राज्यपाल बनाया गया।
साल 2008 में सोनिया गांधी से मतभेद
हालांकि 2008 में पहली बार उनका तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मतभेद हुआ था। अल्वा ने तब सार्वजनिक रूप से कर्नाटक में पार्टी नेतृत्व पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था। दरअसल प्रदेश नेतृत्व ने उनके बेटे निवेदित अल्वा को टिकट देने से इनकार कर दिया था.
मतभेद के बाद ही दिया था इस्तीफा
इसके बाद उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की जिसके बाद उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, कुछ समय बाद वे लौट आए और उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बना दिया गया। वह उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं। उनके एक और बेटे निखिल अल्वा को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। कांग्रेस के प्रचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने उनकी उम्मीदवारी को देश की विविधता का प्रतिनिधित्व करार दिया।