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देश भर मे कल मनाया जायेगा गुरु पूर्णिमा का पर्व

PUBLISHED BY : Vanshika Pandey

13 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। यह सभी पूर्णिमा में विशेष होता है। पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि गुरु ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बताते हैं। गुरु के मार्गदर्शन और उनकी कृपा के बिना भागवतम को प्राप्त करना असंभव है। इसलिए गुरु और उनके संग की प्राप्ति के लिए यह पूर्णिमा अत्यंत विशेष है। इस गुरु पूर्णिमा पर मालव्य योग बन रहा है। जो बहुत खास है। बताया कि यह महर्षि व्यास की जयंती भी है। इस दिन गुरु के आसन पर अवश्य जाएं, उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। गुरु की पूजा से विष्णु की पूजा का फल मिलता है।

क्या है गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त:

गुरु पूर्णिमा मुहूर्त: 12 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे गुरु पूर्णिमा प्रवेश कर रही है. इसलिए 13 जुलाई को उदय तिथि में गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई को रात 12:06 बजे तक है। इसके बाद सावन की एंट्री होगी। 14 तारीख को उदय तिथि में सावन का प्रवेश मान्य होगा।

गुरु पूर्णिमा पर धार्मिक स्थलों पर विशेष पूजा गुरु पूर्णिमा पर सभी धार्मिक स्थलों पर विशेष पूजा अर्चना की गई है. गुरु पूर्णिमा पर मंदिर में होगी विशेष सजावट

क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्तव :

आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु की शुरुआत में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक ऋषि-मुनि एक ही स्थान पर रहते हैं और ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न ज्यादा गर्म और न ज्यादा ठंडा। इसलिए उन्हें अध्ययन के लिए उपयुक्त माना जाता है। जिस प्रकार सूर्य की तपिश से तपती हुई भूमि को वर्षा से शीतलता और फसल उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त होती है, उसी प्रकार गुरु के चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त होती है।
इसी दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के महान विद्वान थे। उन्हीं में से एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और गुरु पूर्णिमा को उनके सम्मान में व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का जन्म भी इसी दिन हुआ था, वे कबीरदास के शिष्य थे।

शास्त्रों में गुरु का अर्थ दिया गया है- अन्धकार का अर्थ या मूल अज्ञान और रु को दिया गया है- उसका निवारण। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह ज्ञान की सहायता से अज्ञान के अंधकार को दूर करता है।

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