रायपुर । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि विश्व सिकलसेल दिवस पर लोगों को जगाना है और छत्तीसगढ़ से सिकलसेल एनीमिया को भगाना है। प्रदेश के 33 जिलों के 33 हजार हितग्राहियों को सिकलसेल के लिए चिन्हित किया गया है। प्रदेश के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों, छात्रावास-आश्रमों तथा आवासीय विद्यालयों में भी सिकलसेल स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन 19 जून को किया जाएगा। राज्य स्तरीय मुख्य आयोजन राजधानी रायपुर के अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में 19 जून को पूर्वान्ह 11.30 बजे मुख्यमंत्री की गरिमामयी उपस्थिति में किया जाएगा।
विश्व सिकलसेल दिवस के अवसर पर 19 जून को राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर जागरूकता शिविरों और सिकलसेल परीक्षण का आयोजन स्वास्थ्य केन्द्रों में किया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विभागीय अमले को प्रदेश में सिकलसेल उन्मूलन के लिए व्यापक रूप से स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन करने के निर्देश दिए हैं। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों द्वारा कार्ययोजना बनाकर सभी जिलों में सिकलसेल की स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ और पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में सिकलसेल बीमारी की अधिक से अधिक जागरूकता की आवश्यकता है, ताकि इस बीमारी का उन्मूलन किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2024 तक विकसित भारत का संकल्प लिया है। इस कड़ी में सिकलसेल उन्मूलन मिशन का आगाज 2023 में किया गया है और इसके उन्मूलन का कार्य 2047 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरगामी सोच के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में शासन-प्रशासन, जनप्रतिनिधि, पंचायत, ग्राम सभा, सभी समुदाय के लोग, स्थानीय निकाय, एनजीओ, चिकित्सक, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ, शिक्षक सहित सभी के सहयोग से इस लक्ष्य को 2047 से पहले ही प्राप्त करने प्रयास किया जाएगा। इस दिशा में तेजी से स्क्रीनिंग का कार्य और स्क्रीनिंग पश्चात् जिन लोगों को इस रोग के उपचार की आवश्यकता हो, उन्हें दवा, उपचार, परामर्श और सतत सहयोग देने के लिए राज्य शासन दृढ़ संकल्पित है।
विभागीय मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि सिकलसेल जागरूकता और परीक्षण एक प्रमुख कार्यक्रम है जो आदिवासी हितों की रक्षा करने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के अन्य रहवासियों की भी जीवन रक्षा में कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस घातक रोग की रोकथाम, प्रबंधन एवं जनजागरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और इसके लिए सभी सेवाभावी संस्थाओं और स्वैच्छिक संगठनों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने हेतु आव्हान किया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग में इसकी तैयारी करने के संबंध में सभी जिला कलेक्टर, सहायक आयुक्त एवं परियोजना प्रशासकों को पूर्व में ही निर्देश जारी किए जा चुके हैं। साथ ही मुख्यालय स्तर पर नोडल अधिकारी अपने प्रभार के जिलों से लगातार संपर्क में हैं, ताकि इस दिवस को आम जनता विशेषकर अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य लक्षित वर्गों में सिकलसेल बीमारी के उन्मूलन हेतु प्रचार-प्रसार एवं जागरुकता अभियान चलाया जाकर इस रोग के उन्मूलन हेतु ठोस प्रयास किये जाएंगे। इसी कड़ी में जिलों में बैनर, पोस्टर, नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से सिकलसेल के व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
ज्ञातव्य है कि सिकलसेल एक आनुवांशिक रोग है। इसमें मानव रक्त में उपस्थित गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबिन) हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं जिसके कारण शरीर की सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त मात्रा मे ऑक्सीजन पंहुचने का काम बाधित होता है। ये रक्त कण शरीर की छोटी रक्त वाहिनी (शिराओं) में फसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देते हैं। इसलिए समय पर इसका ईलाज बहुत जरूरी है। इस बीमारी की रोकथाम हेतु आम जनता को जागरुक करने एवं उपचार हेतु प्रतिवर्ष 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस मनाया जाता है। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा भी इसके सफल आयोजन हेतु व्यापक तैयारियां की गई हैं। प्रदेश में इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से व्यापक रूप से स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
प्रदेश के 33 जिलों के कुल 33000 हितग्राहियों को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा 186 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो के माध्यम से 3600 हितग्राहियों को 795 प्राथमिक केन्द्रो के माध्यम से 8000 हितग्राहियों को तथा 4000 उप स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से 8000 हितग्राहियों को चिन्हित किया गया है। इसके साथ-साथ विभागीय एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों, विभागीय छात्रावास-आश्रमों तथा अन्य आवासीय विद्यालयों में भी सिकलसेल स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाएगा। साथ ही विभिन्न जिलों में इस कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। कार्यक्रम के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अमले आम जनता विशेषकर लक्षित वर्गों/समुदायों में जागरुकता लाने प्रयास करेंगे, जो इस बीमारी की रोकथाम के लिए मील का पत्थर साबित होगा।