दुर्ग । दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा में किसानों एवं उद्यमियों के विशेष मांग पर मुर्गी पालन प्रबंधन एवं उद्यमिता विकास में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 से 23 फरवरी 2024 तक आयोजित किया गया है। प्रशिक्षण का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर.आर.बी.सिंह के मार्गदर्शन एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.एस.के. तिवारी के निर्देशन में विभिन्न जिलों से आए हुए
38 प्रतिभागियों, निदेशक अनुसंधान सेवाएं डॉ.जी.के.दत्ता, निदेशक जैव प्रौद्योगिकी डॉ.एम.के.अवस्थी, डॉ.के.मुखर्जी, डॉ.केशब दास, डॉ.धीरेंद्र भोंसले, प्राध्यापको, विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ.दिलीप चौधरी, उपकुलसचिव डॉ.एम.के. गेंदले, कुलपति जी के निज सहायक श्री संजीव जैन एवं अन्य की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया।
इस प्रशिक्षण में विषय विशेषज्ञों द्वारा मुर्गी पालन संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे छत्तीसगढ़ में मुर्गी पालन की संभावनाएं, छत्तीसगढ़ की जलवायु के लिए उपयुक्त नस्ल, उनके आवास एवं सामान्य प्रबंधन, कुक्कुट आहार का प्रबंधन, मुर्गियों में रोग प्रबंधन एवं प्राथमिक उपचार, मुर्गियों में होने वाली महत्वपूर्ण बीमारियां उनका टीकाकरण, रोकथाम, कम लागत में मुर्गी घर का निर्माण, उनकी प्रजनन व्यवस्था, ब्रूडिंग, चूजा, ग्रोवर एवं लेयर पालन तथा प्रबंधन पर जानकारियां दी गई। छत्तीसगढ़ तथा भारत सरकार द्वारा मुर्गी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे नेशनल लाइव स्टॉक मिशन एवं नाबार्ड घोषित योजनाएं आवेदन प्रक्रिया, बैंक लोन की प्रक्रिया, छत्तीसगढ़ राज्य में रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के अंतर्गत मुर्गी पालन में संभावनाओं के बारे में विभिन्न विषय विशेषज्ञों के द्वारा सारगर्भित व्याख्यान दिया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय की वार्षिक प्रतिवेदन 2022-23 एवं बी.व्ही.एस.सी.एण्ड एच.के प्रथम वर्ष के बुकलेट का भी विमोचन किया गया। इस बुकलेट का प्रकाशन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के अनुसूचित जाति उपयोजना के वित्तीय सहयोग से किया गया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ.आर.आर.बी.सिंह ने अपने उद्बोधन में बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में मुर्गी पालन की असीम संभावनाएं हैं। विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर मुर्गी पालन को बढ़ावा देने हेतु कुक्कुट जर्मप्लाज्म का वितरण विभिन्न परियोजना द्वारा लगातार किया जा रहा है।
भविष्य में कुक्कुट पालन व्यवसाय को काफी आगे जाना है, बस आवश्यकता है सिर्फ कुशल प्रबंधन एवं तकनीकी जानकारी की। महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉक्टर एस के तिवारी ने अपने व्याख्यान में कहा कि मुर्गी पालन हेतु किसानों को हमेशा तकनीकी सहयोग महाविद्यालय द्वारा प्रदान किया जाएगा। महाविद्यालय द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट पालन हेतु बटेर, टर्की एवं वन राजा तथा कड़कनाथ मुर्गी चुजों का वितरण भी किया जाता रहा है। विगत 5 वर्षों में एक लाख से अधिक चुजों का वितरण किया जा चुका है। कार्यक्रम प्रशिक्षण आयोजक डॉ.ओ.पी.दीनान द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ. दीप्ति किरण बरवा द्वारा किया गया।