रायपुर । नक्सलियों का दोहरा चेहरा एक बार फिर सामने आया है। सीपीआई (एम) दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की ओर से जारी बयान में एक ओर सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को बेईमानी करार देते हुए ठुकरा दिया। वहीं दूसरी ओर जनता के हितों का हवाला देते हुए वार्ता के लिए हमेशा तैयार रहने की बात भी कह डाली।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की ओर से प्रवक्ता विकल्प की ओर से जारी बयान में कहा कि छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और केंद्रीय गृहमंत्री ने हाल ही सार्वजनिक तौर पर कहा कि वे माओवादियों के साथ चाहे सीधी या वर्चुअल बातचीत के लिए तैयार है। इस पर कई पत्रकारों, बुद्धिजीवियों ने हमारी प्रतिक्रिया मांगी। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी स्पष्ट करना चाहती है कि बातचीत का प्रस्ताव चाहे उप मुख्यमंत्री द्वारा हो या इसके पहले के मुख्यमंत्रियों द्वारा या फिर देश के गृहमंत्री द्वारा किया गया हो, बेईमानी भरा और जनता को धोखा देने वाला ही रहा।
इसके साथ बयान में राज्य सरकारों के ऑपरेशन कगार का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत बीएसएफ और आईटीबीपी के 6 हजार बलों को बस्तर संभाग के ‘अबूझमाड़ (नारायणपुर जिला) में उतारा गया। इन जवानों के साथ 40 और नए कैंप स्थापित करने वाले हैं। भाजपा के छत्तीसगढ़ राज्य में सत्तारूढ़ होने के डेढ़ माह के भीतर मुठभेड़ों, क्रॉस फायरिंग के नाम पर बस्तर संभाग में 10 आदिवासियों की जघन्य हत्या की गयी। यह प्राकृतिक संपदाओं व संसाधनों की कॉरपोरेट लूट के लिए बस्तर संभाग के आदिवासियों के कत्लेआम के सिवाय और कुछ नहीं है।
दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने लिखित बयान में कहा कि जनता के व्यापक हितों के मद्देनजर हमारी पार्टी वार्ता के लिए हमेशा तैयार है। लेकिन वार्ता के लिए पार्टी के भीतर एवं जनता के साथ जरूरी सलाह-मशविरा, आदान-प्रदान के लिए सरकारें अनुकूल माहौल निर्मित करे। इसके लिए तमाम सशस्त्र बलों को 6 माह के लिए बैरकों तक सीमित किया जाए। नए कैंप स्थापित करना बंद किया जाए, राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए। सरकार ईमानदार से इन न्यूनतम बातों पर अमल करे, फिर हम सीधी वार्ता या वर्चुअल / मोबाइल वार्ता के लिए आगे आएंगे। बातचीत का विधि-विधान एजेंडा और मुद्दे अलग से तय किए जा सकते हैं।