उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड में PFI की एंट्री, जानिए NIA की जांच में क्या था नया?
आकाश मिश्रा ✍️
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को हुए कन्हैयालाल हत्याकांड में एनआईए की जांच अब जोर पकड़ रही है. पिछले 15 दिनों में पीएफआई का कनेक्शन भी जांच एजेंसियों के राडार पर दिखने लगा है। हत्या के मुख्य आरोपी रियाज मोहम्मद अटारी व मोहम्मद गौस के अलावा अन्य आरोपियों व संदिग्धों से पूछताछ में इन कनेक्शनों की जांच एनआईए ने की है. वहीं राजस्थान के उदयपुर के अलावा अजमेर पुलिस भी हरकत में आ गई है. अजमेर पुलिस ने हत्याकांड से पहले अजमेर में मौन जुलूस के दौरान सिर कटे हुए नारे लगाने वाले मुख्य आरोपी गौहर चिश्ती को हैदराबाद से गिरफ्तार किया है. इन सभी के संबंध पीएफआई से थे। एनआईए इन सभी सवालों के जवाब तलाशने में लगी है, जिसमें जल्द ही बड़े खुलासे किए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी के अलावा इस हत्याकांड में शामिल आरोपियों का कनेक्शन अब सामने आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक, रियाज और गौस मोहम्मद के अलावा अन्य के जब्त किए गए मोबाइल फोन की प्रारंभिक जांच में वे पीएफआई के सक्रिय सदस्यों के संपर्क में थे। जो पाकिस्तान के अलावा भारत में हैदराबाद, बिहार, यूपी, एमपी और राजस्थान समेत अन्य राज्यों में हो सकता है।
देशभर में 300 लोगों के सोशल मीडिया से जुड़े होने के संकेत
आरोपियों से पूछताछ के दौरान एनआईए को ऐसे मोबाइल नंबर मिले हैं, जिनके पीएफआई के सदस्यों से कनेक्शन हैं। बताया जा रहा है कि देशभर में करीब 300 लोग सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से जुड़े थे. वहीं नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में पोस्ट करने वालों को जान से मारने की मंशा से इस संगठन के संपर्क में आए लोग सक्रिय हो गए. वहीं जून माह में पीएफआई के बैनर तले राजस्थान के विभिन्न जिलों में मौन जुलूस निकाला गया, जिसमें अजमेर और ब्यावर में भी ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगे.