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Mishra Chamber Raigarh : सीनियर वकील अशोक कुमार मिश्रा एवं आशीष कुमार मिश्रा ने अदालत में दायर की थी याचिका,कुनबी समाज संगठन के फर्जी अध्यक्ष देवराज पारधी उनके सहयोगी के विरुद्ध धोखाधड़ी और दस्तावेजी कूटरचना का अपराध हुआ दर्ज

प्रदेश की राजधानी रायपुर में कुनबी समाज संगठन के पदाधिकारी बन कर संगठन चलाने वाले देवराज पारधी पुरूषोत्तम टोण्डरे और श्याम देशमुख के विरुद्ध न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी रायपुर माननीया अंकिता यदु की अदालत ने भारतीय दण्ड विधान की धारा 417, 420, 466, 467, 468, 471, 120 बी का अपराध दर्ज कर उनकी उपस्थिति के लिये वारंट जारी कर दिया है । इन आरोपियों के विरुद्ध संगठन के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर नाकतोड़े ने मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा -आशीष कुमार मिश्रा के मार्फत न्यायालय में आपराधिक प्रकरण पेश कराया था एवं आरोप लगाया था कि इन अपराधियों ने संस्था भवन का ताला तोड़कर स्वयं को कुनबी समाज का पदाधिकारी घोषित कर दिया एवं लोगों को गुमराह कर चंदा वसूल कर रहे हैं तथा संगठन की रकम का बैंक से आहरण कर रहे हैं जबकि छत्तीसगढ़ शासन ने भी इनकी कार्यकारिणी को अवैध घोषित कर दिया है ।

इन आरोपियों की ठगी का शिकार होने वाले सतीश रावते, विजय बेन्दे्र और रामेश्वर नाकतोड़े ने न्यायालय में अपना बयान दर्ज कराया एवं इनके अपराधों के सबूत के रूप में कुल 10 दस्तावेजी प्रमाण अदालत में पेश किया । ज्ञात हो कि कुनबी समाज संगठन का बैंक खाता सील करने के लिये वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार मिश्रा द्वारा नोटिस दिये जाने पर बैंक ने इस संस्था का खाता वर्ष 2023 में फ्रीज कर दिया था लेकिन इसके बाद भी आरोपीगण आम जनता को इस संस्था का पदाधिकारी होना बताकर चंदा वसूलते रहे ।

संस्था के इस फर्जीवाड़ा की अपील मिश्रा चेम्बर द्वारा छत्तीसगढ़ शासन के समक्ष की गई थी जिस पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने देवराज पारधी की समूची कार्यकारिणी को अवैध होना पाया एवं 15 मार्च 2024 को पंजीयक को निर्देशित किया कि 6 माह के भीतर संस्था का चुनाव कराया जाए परंतु शासन का यह फैसला आने के बाद भी शासन के इस फैसले को न तो आरोपीगण ने महत्व दिया, न ही पंजीयक ने महत्व दिया, जिसके कारण राजधानी में यह फर्जीवाड़ा बेखौफ फलता-फूलता रहा एवं अपराधीगण कानून को अंगूठा दिखा कर चिढ़ाते रहे लेकिन जब यह मामला अदालत में पहुंचा, तब इन अपराधियों की सभी चालाकी धरी की धरी रह गई एवं वे कानून की गिरफ्त में आ गए ।

यहां यह उल्लेखनीय है कि न्यायालय द्वारा इन अपराधियों के विरुद्ध आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डनीय धाराओं का अपराध पंजीबद्ध किया गया है जबकि पंजीयक फर्म एण्ड सोसायटी का कार्यालय इन आरोपियों का मददगार बनकर इन्हें भरपूर सहयोग देता रहा एवं शासन का आदेश होने के बाद भी इनके हाथ से संस्था की बागडोर छीनने में नाकामयाब रहा । न्यायालय में आरोपियों के विरुद्ध साक्ष्य और दस्तावेज पेश करने के बाद 5 फरवरी को इस मामले में रायगढ़ के सीनियर वकील अशोक कुमार मिश्रा और उनकी सहयोगी श्रीमती शीलू त्रिपाठी द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया, जिसके पश्चात न्यायालय ने संपूर्ण प्रकरण का अध्ययन करने के बाद आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 417, 420, 466, 467, 468, 471, 120 बी का अपराध दर्ज कर लिया एवं उनकी उपस्थिति के लिये वारंट जारी कर दिया है।

इधर बैंक ने अपनी गलती मान लिया है और खाता को फिर से फ्रीज कर दिया है। खाता फ्रिज होने के बाद जो पैसा देवराज ने निकाला था वह पैसा बैंक ने जमा करवा लिया है।

प्रकरण की पैरवी करने वाले अधिवक्ता अशोक कुमार मिश्रा और श्रीमती शीलू त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय का यह आदेश बाहुबली अपराधियों के लिये यह संदेश है क अपराध करने के बाद उसके परिणाम से बचना नामुमकिन है क्योंकि न्यायालय की नजर में कोई बाहुबली नहीं है।

bulandmedia

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